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संतो ने सदा राह दिखाई, समाज में महिलाओं को पूज्य बनाया, बेटियों को आत्मनिर्भर बनाएं: राष्ट्रपति

आप आत्मनिर्भर बनने का प्रयास करें, क्योंकि जब आप सफल होंगी, तभी हमारा समाज और देश सफल होगा। हमारा लक्ष्य भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाना है।

छतरपुरFeb 27, 2025 / 10:47 am

Dharmendra Singh

president of india

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू

छतरपुर. बागेश्वर धाम में 251 जोड़ों का सामूहिक विवाह महोत्सव आयोजित किया गया, जिसमें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। इस भव्य आयोजन में राज्यपाल मंगुभाई पटेल, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, आचार्य बालकृष्ण, ज्ञानानंद महराज, वीडी शर्मा सहित कई प्रतिष्ठित हस्तियां शामिल हुईं। विवाह समारोह के दौरान, बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पं. धीरेंद्र शास्त्री ने राष्ट्रपति मुर्मू को हनुमान यंत्र भेंट किया।

बेटियों को संबल देना है


राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने नवविवाहित जोड़ों को शुभकामनाएं देते हुए कहा गृहस्थी के सामान के साथ-साथ विवाहित महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए आटा चक्की और सिलाई मशीन भी प्रदान की जा रही है। उन्होंने कहा- मैं सभी महिलाओं से कहना चाहती हूं कि आप आत्मनिर्भर बनने का प्रयास करें, क्योंकि जब आप सफल होंगी, तभी हमारा समाज और देश सफल होगा। हमारा लक्ष्य भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाना है। राष्ट्रपति मुर्मू ने संतों की भूमिका को सराहते हुए कहा कि भारतीय परंपरा में संतों ने सदियों अपने कर्म और वाणी से जन मानस को राह दिखाई है। सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध आवाज उठाई है। अंधविश्वास के बारे में लोगों को जागरूक किया है। चाहे गुरुनानक हों, रविदास हों या संत कबीर दास हों, मीराबाई हों या संत तुकाराम, सभी ने समाज को सही राह दिखाई है। संतो ने महिलाओं को समाज में उचित स्थान दिलाया, न केवल स्थान दिलाया बल्कि पूज्य बनाया। आप सभी को बेटियों को संबल देना हैं, उनकी शिक्षा और स्वास्थ्य पर ध्यान देना है। उन्होंने महिलाओं से कहा आत्मनिर्भर बनने का प्रयास करें, महिलाएं ही देश के विकास की कुंजी हैं।

राष्ट्रपति नवविवाहितों के लिए लाई एक ट्रक उपहार


राष्ट्रपति मुर्मू एयरफोर्स के विशेष विमान से खजुराहो एयरपोर्ट पहुंचीं, जहां से वे हेलिकॉप्टर द्वारा बागेश्वर धाम आईं। उन्होंने बालाजी मंदिर में पूजा-अर्चना की और फिर विवाह समारोह में शामिल हुईं। राष्ट्रपति मुर्मू अपने साथ एक ट्रक भरकर उपहार सामग्री लेकर आईं, जिसमें 251 कन्याओं के लिए साडिय़ां और 251 दूल्हों के लिए सूट समेत अन्य उपहार शामिल थे। उन्होंने सभी नवविवाहित जोड़ों को आशीर्वाद दिया और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। दोपहर 3.10 बजे वडोदरा के लिए रवाना हो गईं।

जातिगत विषमताओं के खिलाफ कदम


मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस विवाह समारोह को जातिगत भेदभाव मिटाने का एक बड़ा प्रयास बताया। उन्होंने कहा यह सामूहिक विवाह सर्वधर्म समभाव और सामाजिक समरसता का प्रतीक है। शासन, सत्ता और संतों की त्रिवेणी के बीच यह आयोजन समाज को नई दिशा देने का कार्य कर रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने आयोजन की भव्यता की सराहना करते हुए कहा, 251 घोड़े कहां-कहां से लाए महाराज, गजब कर दिया आपने! आज आपने अश्वमेघ और दिग्विजय घोड़े के समान ये घोड़े लाए हैं, जिन्होंने समाज की असमानता को तो कुचल दिया। उन्होंने कहा मध्य प्रदेश सरकार की ओर से 51000 रुपए प्रति जोड़े को दिए जाएंगे। वहीं, राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा सामूहिक विवाह केवल सामाजिक सहयोग नहीं, बल्कि एक यज्ञ है। 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के संकल्प में ऐसे आयोजन समाज को मजबूती देते हैं।

मंदिरों की दान पेटियां बेटियों के लिए खोलने की अपील


अपने संबोधन में पं. धीरेंद्र शास्त्री ने कहा भारत के मंदिरों की दान पेटियों को गरीब बेटियों के विवाह के लिए खोल देना चाहिए। बेटियों को जब घर जाना तो मुस्कुराते हुए कहना कि हमारे विवाह में स्वयं राष्ट्रपति महोदया आई थीं। उन्होंने इस सामूहिक विवाह को सामाजिक उत्थान और समरसता का प्रतीक बताया। धीरेंद्र शास्त्री ने कहा बहन की शादी में आई आर्थिक कठिनाइयों से मैंने प्रेरणा ली और इस संकल्प को अपनाया और कन्या विवाह करा रहे हैं। उन्होंने कहा मंदिरों और मठों की दान पेटियों का उपयोग गरीब कन्याओं के विवाह के लिए किया जाए। जब हम ऐसा करेंगे, तभी भारत विश्वगुरु बनेगा।

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