एनजीटी का आदेश और प्रशासन की लापरवाही
किशोर सागर तालाब के संरक्षण के लिए एनजीटी द्वारा 2014 में पारित आदेश में यह स्पष्ट किया गया था कि तालाब के क्षेत्रफल को संरक्षित किया जाए और वहां से सभी अवैध कब्जे हटाए जाएं। इसके तहत 10 मीटर के ग्रीन जोन से भी कब्जे हटाने का आदेश दिया गया था। लेकिन इस आदेश के बावजूद प्रशासनिक स्तर पर अवैध निर्माण कार्य चलते रहे और कब्जे जस के तस बने रहे। इस कारण तालाब के जल स्तर में भी कमी आने लगी और पर्यावरणीय संकट पैदा होने लगा।
वर्ष 2021 में पुन: याचिका दायर की गई
जब यह देखा गया कि एनजीटी के आदेश के बावजूद तालाब से कब्जे नहीं हटाए गए, तो वर्ष 2021 में पुन: एक याचिका दायर की गई। इस याचिका पर गौर करते हुए एनजीटी ने फिर से छतरपुर जिला जज को आदेश दिया कि वह तालाब से कब्जे हटाने के लिए कार्रवाई करें। इसके बाद यह मामला द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश हिमांशु शर्मा की अदालत में स्थानांतरित हो गया।
अब 7 मार्च 2025 को होगा फैसला
24 फरवरी 2025 को इस मामले में अदालत ने सभी पक्षों से तर्क सुनने के बाद आदेश के लिए 7 मार्च 2025 की तिथि तय की है। अब इस मामले के फैसले के बाद उम्मीद की जा रही है कि किशोर सागर तालाब से अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी, जिस पर सैकड़ों लोग अवैध रूप से कब्जा किए हुए हैं।
किशोर सागर तालाब का ऐतिहासिक महत्व
किशोर सागर तालाब छतरपुर जिले का एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल है। यह तालाब न केवल छतरपुर जिले की जलवायु और पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के कारण भी यह स्थानीय निवासियों के लिए अत्यंत श्रद्धेय स्थल है। वर्षों से यह तालाब पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, लेकिन कब्जे और अवैध निर्माण कार्यों ने इसकी हालत बिगाड़ दी है।