वर्ष 2025-26 से 12 लाख तक की सालाना आय वालों को नहीं लगेगा Tax, यहां समझ लें कैसे पा सकते हैं छूट
साल 2025-26 से वार्षिक 12 लाख रुपये तक की आय को कर-मुक्त कर दिया गया है। बजट में यह सुझाव दिया गया है कि धारा-87ए के अंतर्गत रिबेट का लाभ वेतन और अन्य स्रोतों से होने वाली विभिन्न प्रकार की आय पर लागू होगा। हालांकि, शेयर, जमीन, मकान आदि की खरीद-फरोख्त से होने वाले पूंजीगत लाभ पर यह रिबेट सीमित रहेगी।
आम बजट में वर्ष 2025-26 से सालाना 12 लाख रुपए तक की आय को टैक्सफ्री (Tax-Free) कर दिया गया है। हालांकि यह छूट रिबेट के माध्यम से दी गई है। बजट में यह प्रस्ताव दिया गया है कि धारा -87ए के तहत रिबेट का फायदा वेतन सहित अन्य स्रोतों से हुई कई तरह की कमाई पर मिलेगा, लेकिन शेयर, जमीन, मकान आदि खरीदने-बेचने से पूंजीगत लाभ हुआ हो तो रिबेट का लाभ सीमित हो जाएगा। यानी स्पेशल रेट वाले आय पर टैक्स छूट का फायदा नहीं मिलेगा। लेकिन कई ऐसे टैक्सपेयर्स हैं, जिनकी कमाई सैलरी के अलावा रूम रेंट, डेट और इक्विटी म्यूचुअल फंड्स, एफडी, स्मॉल सेविंग स्कीम्स आदि कई स्रोतों से होती है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि जिन लोगों की कमाई मल्टीपल सोर्स से होती है, उनके इनकम टैक्स की गणना कैसे होगी और उन्हें कितना टैक्स चुकाना होगा।
> यदि पूरी आय वेतन, पेंशन, ब्याज, किराए, या व्यवसाय से आती है और कोई विशेष श्रेणी की आय शामिल नहीं है।
> कुल आय 12 लाख रुपए से कम या बराबर है और करदाता नई कर व्यवस्था को चुनता है। पुरानी कर व्यवस्था चुनने पर लाभ नहीं मिलेगा।
> इनसे कमाई तो 12 लाख की आय पर भी लगेगा टैक्स
कैपिटल गेन्स: जमीन और मकान, शेयरों की खरीद-बिक्री और इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में किए निवेश से लाभ हुआ है तो 12 लाख की आय पर भी टैक्स लगेगा। हालांकि सालाना 1.25 लाख रुपए तक के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स पर टैक्स छूट मिलेगी।
विरोधाभास: हालांकि डेट म्यूचुअल फंड्स और स्टॉक्स में निवेश से अगर डिविडेंड प्राप्त हुआ है को टैक्स छूट (रिबेट) का लाभ मिलेगा। लॉटरी और गेमिंग शो: यदि किसी व्यक्ति की आय में लॉटरी, जुए, सट्टेबाजी या गेम शो जैसी अन्य विशेष श्रेणियों से प्राप्त आय शामिल है, तो इस पर 30त्न की उच्च दर से कर लगाया जाएगा। इन मामलों में भी धारा 87ए के तहत कर छूट लागू नहीं होगी।
व्यवसायिक और विशेष दर वाली आय: यदि कोई व्यक्ति फ्रीलांसिंग, व्यवसाय या पेशेवर सेवाओं से आय अर्जित करता है, तो इस पर भी विशेष कर नियम लागू हो सकते हैं। ऐसे मामलों में स्लैब के आधार पर टैक्स लगाया जाएगा और कुछ मामलों में छूट नहीं मिलेगी।