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पलटेगी बाजी! भारत के ‘खिलौनों’ से खेलेगा अमेरिका, चीन को लगेगी मिर्ची

अब जब चीन अमरीका के साथ टैरिफ वार में उलझा है तो भारतीय खिलौना उद्योग के लिए एक और राह खुली है।

भारतApr 21, 2025 / 08:52 am

Anish Shekhar

खिलौना उद्योग के वैश्विक खेल में भारत आहिस्ता-आहिस्ता खिलाड़ी नंबर-1 बनने की राह पर चल पड़ा है। दस-बारह साल पहले निर्यात के मुकाबले भारत का खिलौना आयात ज्यादा था, मगर कोरोनाकाल के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वोकल फॉर लोकल अपील और भारतीयों खिलौना व्यापारियों की इच्छाशक्ति ने ऐसा रंग दिखाया कि आज हम आयात से ज्यादा निर्यात कर रहे हैं।
यह वही स्थिति है जिससे कभी चीन भी दो-चार था। जी हां, 2003 में वैश्विक खिलौना निर्यात में चीन की हिस्सेदारी माइनस 4 प्रतिशत थी, लेकिन इस पड़ोसी मुल्क ने अप्रत्याशित रूप से वृदि्ध की और अब विश्व के कुल खिलौना निर्यात में इसकी हिस्सेदारी करीब 70 प्रतिशत तक पहुंच गई है। अब जब चीन अमरीका के साथ टैरिफ वार में उलझा है तो भारतीय खिलौना उद्योग के लिए एक और राह खुली है। भारत खिलौना उत्पादन और निर्यात पर ज्यादा जोर दे रहा है। भारतीय खिलौनों की गुणवत्ता सुधरी है वहीं राज्यों के खास खिलौनों को जीआई टैग देने से भी बढ़ावा मिला है।

ट्रंप टैरिफ से चीन को पछाड़ेगा भारत

एक अनुमान के अनुसार मौजूदा वैश्विक खिलौना और गेमिंग उद्योग का बाजार का 114.4 बिलियन डॉलर का है, जो 6% वार्षिक वृद्धि के साथ 2034 तक 203.1 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। भारत का खिलौना उद्योग फिलहाल 1.7 बिलियन डॉलर का है, और वैश्विक खिलौना निर्यात में भारतीय खिलौनाें की हिस्सेदारी करीब 0.3 प्रतिशत ही है। ट्रंप टैरिफ के चलते सबसे बड़े खिलौना आयातक अमरीका में चीनी खिलौनों की एंट्री मुश्किल होने की दशा में भारत के पास विकल्प बनने का बड़ा मौका है।

इन कदमों से जगी उम्मीद

-नेशनल टॉय एक्शन प्लान और स्कीम ऑफ फंड्स फॉर रीजेनरेशन ऑफ ट्रेडिशनल इंडस्ट्रीज (स्फूर्ति) जैसी पहलों से खिलौना उद्याेग को बढ़ावा।
-भारतीय खिलौना उद्योग को वैश्विक स्तर का बनाने के लिए शोध और विकास पर जोर।
-नई शिक्षा नीति में खिलौना उद्योग का शिक्षाजगत का अहम अंग बनाया
-वर्तमान में 85-90 प्रतिशत खिलौने असंगठित क्षेत्र में निर्मित हो रहे हैं, जिन्हें संगठित दायरे लाने के प्रयास
-टॉय स्पेसिफिक क्लस्टर, जिला निर्यात हब की स्थापना
-5000 खिलौना निर्माता एमएसएमई को बढ़ाने पर जोर

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गुणवत्ता पर जोर, चीन को दी गहरी चोट

केंद्र सरकार ने देश में बनने वाले खिलौनों की गुणवत्ता और नवाचार पर जोर दिया वहीं सख्त गुणवत्ता नियंत्रण नीति के जरिए चीन से आने वाले घटिया खिलौनों का काफी हद तक आयात रोका। इससे भारतीय उद्योग को बल मिला, विदेशों में इनकी मांग बढ़ी। भारत में चीन से आयातित खिलौनों का एकाधिकार समाप्त हुआ और आयात 235 मिलियन डॉलर से घटकर केवल 41 मिलियन डॉलर रह गया। नई नीतियों और सख्त आयात नियमों से हम जल्दी ही नंबर वन होंगे।
अक्षय बिंजराजका, अध्यक्ष, भारत खिलौना संघ

जीआई टैग्स: राजस्थान की कठपुतली, एमपी के इंदौरी टॉय

-आंध्र प्रदेश: इत्तिकोप्पाक्का, कोेंडापल्ली बोम्मल्लू
-कर्नाटक: चन्नपट्टण ट्वाॅय-डॉॅल्स, किन्हल, गंजिफा कार्ड्स ऑफ मैसूर
-तेलंगाना: निर्मल ट्वॉय एंड क्रॉफ्ट
-मध्य प्रदेश: चमड़े से बने इंदौरी ट्वॉय
-उत्तरप्रदेश: वाराणसी के लकड़ी के खिलौने
-राजस्थान: कठपुतली -तमिलनाडु: तंजावुर डॉल्स

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