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Share Market Crash: ब्लैक मंडे! खुलते ही सेंसेक्स 3,000 अंक तो निफ्टी 21,800 के नीचे पहुंचा, जानें रिलाइंस, टाटा जैसे शेयरों का हाल

Share Market Crash: मार्केट खुलते ही सेंसेक्स और निफ्टी दोनों 5% से अधिक की गिरावट के साथ खुले। इसके साथ ही अन्य बड़े शेयरों में भी गिरावट का दौर जारी रहा।

भारतApr 07, 2025 / 01:27 pm

Devika Chatraj

Share Market Updates: ट्रंप के टैरिफ वॉर से पूरी दुनिया के बाजारों में असर देखने को मिल रहा है। कारोबार शुरू होते ही BSE सेंसेक्स में 3500 अंकों की भारी गिरावट दर्ज की गई, जबकि NSE निफ्टी भी 1000 अंकों तक लुढ़क गया। निवेशकों में अफरा-तफरी का माहौल देखने को मिला, क्योंकि प्रमुख शेयरों (Share) जैसे रिलाइंस और टाटा समूह की कंपनियों पर भी इस गिरावट का गहरा असर पड़ा।

सेंसेक्स, निफ्टी में 5% से ज्यादा की गिरावट

शेयर बाजार में कारोबार की शुरुआत होते ही BSE सेंसेक्स अपने पिछले बंद 75,364.69 के मुकाबले तेजी से लुढ़ककर 71,449 के स्तर पर पहुंच गया। इसी तरह, NSE निफ्टी भी अपने पिछले बंद 22,904 से फिसलकर 21,758 पर खुला। इसके बाद, दोनों सूचकांकों में गिरावट का सिलसिला जारी रहा। कुछ ही समय में निफ्टी-50 करीब 1,000 अंक टूटकर 21,743 तक नीचे आ गया, जबकि सेंसेक्स 71,425 के स्तर पर कारोबार करता दिखाई दिया।

रिलाइंस, टाटा के टूटे शेयर

शुरुआती कारोबार के दौरान बीएसई का लार्जकैप इंडेक्स पूरी तरह से लाल रंग में डूबा नजर आया। सभी 30 प्रमुख कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट देखी गई। इस दौरान सबसे बड़ा झटका Tata Steel के शेयर को लगा, जो 10.43% टूटकर 125.80 रुपये के स्तर पर पहुंच गया।

Infosys, महिंद्रा के गिरे शेयर

Tata Motors 8.29%, Infosys 7.01%, Tech Mahindra 6.85%, L&T 6.19%, HCL Tech 5.95%, Adani Ports 5.54%, TCS 4.99%, Reliance 4.55%, और NTPC 4.04% की गिरावट के साथ कारोबार करते दिखे। इसके अलावा Maruti Share, Kotak Bank Share, Axis Bank Share, IndusInd Bank Share, Titan Share, SBI Share, Bajaj Finance Share, HDFC Bank Share, ICICI Bank Share में 2-3 फीसदी की गिरावट देखने को मिली।

19 लाख करोड़ का नुकसान

बाजार खुलते ही भारतीय शेयर बाजार में जबरदस्त हलचल देखी गई। जिसके चलते निवेशकों को करीब 19 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। यह आंकड़ा बीएसई पर लिस्टेड कंपनियों के मार्केट कैप में आई कमी से लिया गया है।

वैश्विक मंदी के संकेत

गिरवाट से वैश्विक मंदी की आशंका, बढ़ती महंगाई, केंद्रीय बैंकों की सख्त नीतियां और भू-राजनीतिक तनाव देखा जा रहा है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर यह गिरावट का दौर रुकने का नाम नहीं लेता, तो यह न केवल शेयर बाजार, बल्कि समूची अर्थव्यवस्था को गहरे संकट की ओर ले जा सकता है। छोटे निवेशकों से लेकर बड़े औद्योगिक समूहों तक, सभी अपने घाटे का आकलन करने में लगे हैं। आम लोग भी इस आर्थिक सुनामी के प्रभाव को सड़कों पर महसूस कर रहे हैं, क्योंकि उनकी जमा-पूंजी और भविष्य की आशाएं इन बाजारों के साथ जुड़ी हुई हैं।

अब तक की भारी गिरावटें

शेयर मार्केट में भारी गिरावट कई बार देखी गई है, और ये गिरावटें आमतौर पर आर्थिक संकट, राजनीतिक अस्थिरता, वैश्विक घटनाओं के कारण होती हैं। नीचे कुछ प्रमुख उदाहरण हैं जब भारतीय और वैश्विक शेयर बाजारों में बड़ी गिरावट दर्ज की गई हैं।
1865 – पहली रिकॉर्डेड क्रैश
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के औपचारिक रूप से स्थापित होने से पहले, अमेरिकी गृह युद्ध से जुड़ी अटकलों के कारण स्टॉक मूल्य में वृद्धि हुई, खासकर कपास से संबंधित कंपनियों में। जब अप्रैल 1865 में युद्ध समाप्त हुआ, तो कपास की मांग कम हो गई, जिससे बाजार में भारी गिरावट आई। बैक बे रिक्लेमेशन जैसे शेयर अपने चरम से 96% गिर गए, जिससे व्यापारियों को नुकसान हुआ और व्यापार बंद होने के कारण बॉम्बे में 21% की आबादी में गिरावट आई।
1992 – हर्षद मेहता घोटाला
भारतीय शेयर बाजार में यह एक ऐतिहासिक गिरावट थी। हर्षद मेहता द्वारा स्टॉक और बैंकिंग सिस्टम में हेरफेर के खुलासे के बाद बीएसई सेंसेक्स में भारी गिरावट आई। अप्रैल 1992 में सेंसेक्स 4,467 से गिरकर कुछ महीनों में 2,500 के आसपास आ गया, यानी लगभग 40-50% की गिरावट।
2008 – वैश्विक वित्तीय संकट
अमेरिका में लेहमन ब्रदर्स के दिवालिया होने के बाद शुरू हुए वैश्विक संकट का असर भारत पर भी पड़ा। जनवरी 2008 में सेंसेक्स 21,000 के शिखर से गिरकर अक्टूबर 2008 तक 8,701 पर आ गया, यानी करीब 60% की गिरावट। 21 जनवरी 2008 को एक ही दिन में सेंसेक्स 2,000 अंक से ज्यादा गिरा।
2015 – चीन स्लोडाउन रिपल इफ़ेक्ट
युआन के अवमूल्यन के बाद चीनी आर्थिक मंदी की आशंका के कारण वैश्विक बिकवाली शुरू हो गई। भारत में खराब मानसून और कमजोर कॉर्पोरेट आय के कारण सेंसेक्स 1,624 अंक (5.94%) टूटकर 25,741 पर बंद हुआ। गिरावट 2016 में भी जारी रही, फरवरी तक 26% की गिरावट आई।
2016 – नोटबंदी
भारत सरकार द्वारा अचानक ₹500 और ₹1,000 के नोटों को बंद करने से घबराहट के साथ बिक्री शुरू हो गई। नकदी संकट और आर्थिक व्यवधान की आशंकाओं को दर्शाते हुए सेंसेक्स 1,689 अंक (6.12%) गिरकर 26,902 पर बंद हुआ।
2020 – कोविड-19 महामारी
मार्च 2020 में कोविड-19 के कारण वैश्विक लॉकडाउन की घोषणा से बाजार में हाहाकार मच गया। सेंसेक्स 13 मार्च को 38,000 से गिरकर 23 मार्च तक 25,981 पर आ गया, यानी लगभग 33% की गिरावट। 23 मार्च को एक दिन में 3,934 अंक की गिरावट देखी गई।
4 जून 2024 – लोकसभा चुनाव परिणाम
लोकसभा चुनाव के नतीजों के दिन, जब एग्जिट पोल की भविष्यवाणियाँ गलत साबित हुईं और एनडीए को उम्मीद से कम सीटें मिलीं, सेंसेक्स में 4,569 अंक (लगभग 6%) की गिरावट आई। यह चार साल में चुनाव परिणाम के दिन सबसे बड़ी गिरावट थी।
अक्टूबर-नवंबर 2024 – विदेशी निवेशकों की बिकवाली
अक्टूबर 2024 में विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने 94,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की बिकवाली की, जिसके कारण सेंसेक्स 85,000 से गिरकर नवंबर तक 78,000 के आसपास आ गया। यह लगभग 8-10% की गिरावट थी, जो चीन की ओर निवेशकों के रुझान और भू-राजनीतिक तनाव से प्रभावित हुई।

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