रमजान में जकात देने वालों की संख्या 5 गुना बढ़ जाती है। जकात इस्लाम के 5 स्तंभों में से एक है। इस राशि का उपयोग समाज की भलाई खासतौर से तालीम के लिए करने पर जोर दिया गया। इस पहल से राशि को ऐसे सोशल सेक्टर में उपयोग किया जाएगा, जो सीधे लोगों से जुड़े हैं।
मध्य प्रदेश की राजधानी
भोपाल शहर काजी मोलवी मुश्ताक अली ने बताया कि पहला रोजा 2 मार्च को होगा।
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जकात जरूरतमंदों की मदद का एक जरिया है। एक ऐसा संपन्न व्यक्ति, जो मानसिक रूप से स्वस्थ्य है और जिस पर कोई कर्ज नहीं हो, वो जकात दे सकता है। उसे अपनी संपत्ति का कुल ढाई प्रतिशत सालाना जकात के रूप में गरीब, जरूरतमंद, आर्थिक रूप से कमजोर बेसहारा व्यक्ति को ये राशि अदा करनी होती है। जरूरतमंदों तक इस राशि को पहुंचाने के उद्देश्य से कई लोग इसे संगठनों में जमा कराते हैं।
रोजगार को भी बढ़ावा
जमीयत उलेमा के इमरान हारून ने बताया, जकात से रोजगार को बढ़ाने का काम किया। छोटे स्तर पर कुछ लोगों को मदद देकर रोजगार से जोड़ा जा रहा है।
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काजी-ए-शहर की अपील
भोपाल शहर काजी मुश्ताक अली नदवी ने कहा कि, रमजान के दिनों में इबादत की पाबंदी करें। रोजे रखें। सदका और जकात दें, ताकि जरूरतमंदों की मदद हो। वे भी ईद मना सकें।