scriptदेखें एमपी के किस जिले को GIS से फायदा, यहां निवेश के छींटें भी नहीं | See which district of MP benefits from GIS | Patrika News
भोपाल

देखें एमपी के किस जिले को GIS से फायदा, यहां निवेश के छींटें भी नहीं

MP News : राजधानी भोपाल में 24-25 फरवरी को ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट (जीआइएस) में बही निवेश की गंगा 10 जिलों तक ही पहुंची। प्रदेश के 21 जिले सूखे ही रह गए।

भोपालFeb 27, 2025 / 08:58 am

Avantika Pandey

Global Investors Summit

Global Investors Summit

MP News : राजधानी भोपाल में 24-25 फरवरी को ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट (Global Investors Summit) में बही निवेश की गंगा 10 जिलों तक ही पहुंची। प्रदेश के 21 जिले सूखे ही रह गए। जीआइएस में 16 बड़ी कंपनियों समेत कुल 84 कंपनियों ने निवेश पर करार किए, लेकिन बुंदेलखंड और चंबल की बेकरारी बरकरार ही रही। यहां निवेश की सिर्फ चार आलीराजपुर ‘बूंदें’ ही गिरी। बुंदेलखंड में सिर्फ सागर में तीन और चंबल में सिर्फ मुरैना में एक कंपनी ने करार किया। ग्वालियर जिले के लिए एक प्रस्ताव आया है। वहीं, इंदौर को 32 और भोपाल को 22 निवेश प्रस्ताव मिले हैं।
ये भी पढें- भोपाल से सटे पांच जिले जुड़ेंगे, बदलेगी तस्वीर

साल भर में प्रदेश के संभागों में हुई रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव के बाद भी इन जिलों को खास लाभ नहीं मिल सका। अधिकांश निवेश मालवा, विंध्य और राजधानी के आसपास केद्रित रहा। जीआइएस से सभी जिलों को लाभ की उम्मीद थी, लेकिन पहले से सरकार की तैयारियां ऐसी न होने से लाभ से दूर रहे।

निवेश का हिसाब-किताब

विकसित जिलों के लिए ही ज्यादा प्रस्तावः रीजनल इन्वेस्टर्स समिट में आए प्रस्ताव भी संबंधित संभागों के लिए कम और विकसित जिलों के लिए ज्यादा आए।

सिर्फ इन जिलों में ज्यादा निवेश : इंदौर, भोपाल, रीवा, जबलपुर, शहडोल, सागर, उज्जैन, नर्मदापुरम्, ग्वालियर, मुरैना।
यहां निवेश के छींटें भी नहीं : खरगोन, बड़वानी, मंदसौर, नीमच, आगर-मालवा, शिवपुरी, गुना, अशोकनगर, दतिया, श्योपुर, सतना, दमोह, पन्ना, छतरपुर, निवाड़ी, टीकमगढ़, विदिशा, हरदा, सिवनी, बालाघाट, पांढुर्ना।

नए बने जिले भी सूखे : प्रदेश में नए बने जिलों पांढुर्णा, मऊगंज, मैहर आदि जिलों तक निवेश की एक बूंद भी नहीं पहुंची।

किस जिले में कितने निवेश प्रस्ताव

जीआइएस में कुल 84 निवेश प्रस्ताव मिले हैं। इनमें से सबसे ज्यादा 32 इंदौर को और 22 भोपाल को मिले हैं। जबलपुर को 9, रीवा को 7, शहडोल को 7, उज्जैन को 4, सागर को 3, नर्मदापुरम को 6, चंबल में मुरैना को और ग्वालियर को एक प्रस्ताव मिला है।

यह है कारण

  1. बुंदेलखंड और चंबल में ज्यादा औद्योगिक पार्कों का विकास नहीं हुआ। जीआइएस के पहले इस संबंध में कागजी घोड़े दौड़ते रहे।
  2. यहां पानी कम्, बारिश भी कम।
  3. इन क्षेत्रों में कनेक्टिविटी और कानून व्यवस्था कमजोर।

यूपी-राजस्थान से आगे नहीं निकल पाया मध्यप्रदेश

निवेश में मप्र उत्तरप्रवेश (यूपी) व राजस्थान को पीछे नहीं छोड़ पाया। यूपी में 2 साल पहले जीआइएस में 40 लाख करोड़ और राजस्थान में 35 लाख करोड़ के प्रस्ताव मिले। मप्र को पूरे पूरे साल हुई रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव, इंटरेक्टिव सेशन और जीआइएस मिलाकर 30.77 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव मिले हैं।

कहां कितने प्रस्ताव

  • उत्तरप्रदेश : 40 लाख करोड़
  • राजस्थान : 35 लाख करोड़
  • गुजरात : 26.33 लाख करोड़
  • कर्नाटक : 10.27 लाख करोड़
  • पश्चिम बंगाल : 4.4 लाख करोड़
  • असम : 2 लाख करोड़

सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा

सीएम डॉ. मोहन यादव ने बुधवार को कहा, जीआइएस में 30.77 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव सिर्फ आंकड़े नहीं, मेरे लिए मिशन है। मप्र को सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने का मेरा प्रण और परिश्रम का प्रतिफल, इस निवेश रूपी वर्षा से ऊर्जा में बदल गया है। निवेश की 18 नई नीतियों के प्रति निवेशकों का रुझान देखकर श्रीमद्भागवत गीता के 18 अध्याय याद आ गए, जो हमें कर्म और कर्तव्य की प्रेरणा देते हैं। प्रदेश की 8.50 करोड़ जनता से मेरा वादा है कि हमारी सरकार परफॉर्म भी करेगी, पॉलिसी के माध्यम से रिफॉर्म भी करेगी और उद्योगों से प्रदेश को ट्रांसफॉर्म भी करेगी।

Hindi News / Bhopal / देखें एमपी के किस जिले को GIS से फायदा, यहां निवेश के छींटें भी नहीं

ट्रेंडिंग वीडियो