scriptजेपी अस्पताल में घुसे 60-70 लोग, मरीज की मौत के बाद मचा हंगामा, महिला स्टाफ को ICU में छुपाया | Ruckus JP hospital after a death female staff had to hide in the ICU Bhopal | Patrika News
भोपाल

जेपी अस्पताल में घुसे 60-70 लोग, मरीज की मौत के बाद मचा हंगामा, महिला स्टाफ को ICU में छुपाया

JP hospital Case: राजधानी भोपाल का मामला, मरीज की मौत के बाद परिजनों ने जमकर किया हंगामा, स्थिति ये कि महिला स्टाफ को ICU में छिपाना पड़ा… यहां पढ़ें पूरा मामला…

भोपालMar 29, 2025 / 02:47 pm

Sanjana Kumar

JP Hospital Bhopal

JP Hospital Bhopal

JP Hospital Case: राजधानी के सरकारी अस्पतालों में मरीज की मौत के बाद परिजनों के आक्रोशित होने और जमकर हंगामा (Ruckus) करने के मामले बढ़ गए हैं। हमीदिया के बाद अब दूसरा मामला जेपी में सामने आया है जहां गुरुवार शाम साढ़े 7 बजे एक मरीज की मौत के बाद 60 से 70 लोगों की भीड़ ने जमकर हंगामा किया। जिसे संभालने के लिए 4 थानों से पुलिस को बुलाना पड़ा। लगातार होती यह घटनाएं डॉक्टरों की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर रहीं हैं।

मरीज की मौत के बाद हुआ हंगामा

दरअसल गुरुवार शाम 6:30 बजे मरीज (करोंद निवासी 50 वर्षीय मंजूर) को लेकर दो लोग जेपी (JP Hospital) पहुंचे। मरीज को सांस लेने में तकलीफ, खांसी, हाई बीपी, चक्कर आना, शरीर में तेज दर्द जैसी समस्याएं हो रहीं थी। डॉक्टरों की मानें तो मरीज को तत्काल ऑक्सीजन मास्क लगाया, लेकिन वह बार-बार उसे हटा रहे थे। गंभीर स्थिति को देखते हुए हमीदिया अस्पताल रेफर करने की तैयारी चल रही थी। इसी बीच करीब शाम 7 बजे मरीज की मौत हो गई। इसके बाद परिजनों ने डॉक्टरों को मौत का जिम्मेदार ठहराते हुए हंगामा शुरू कर दिया।

महिला स्टाफ को छुपना पड़ा आइसीयू में

हंगामे बढ़ते देख महिला स्टाफ को आईसीयू में छुपना पड़ा। महिला कर्मचारी ने बताया कि मरीज के साथ आईं महिला परिजनों ने महिला डॉक्टरों और नर्स तक से अभद्र व्यवहार किया था।

डॉक्टर बोले- सीकेडी से ग्रसित था मरीज, 25 मिनट दी सीपीआर

जेपी अस्पताल के डॉक्टरों के अनुसार परिजनों ने मरीज की जो पुरानी रिपोर्ट दी उसके हिसाब से 15 मार्च को किडनी की जांच हुई थी। जिसमें यूरिया का स्तर 109 और केरेटीन का स्तर 11.5 था। साथ ही मरीज क्रोनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) से ग्रसित था। इसके बाद भी 12 दिन वे घर पर था।

डॉक्टर की सुरक्षा पर सवाल

● 1250 में पुलिस चौकी नहीं बनी एक सहायता केंद्र बना हुआ है। घटना के दौरान उस केंद्र पर कोई मौजूद नहीं था।

● 1250 में चौकी की मंजूरी मिल चुकी है लेकिन अब तक चौकी बनाई नहीं गई।
● जब भी अस्पताल में किसी की मौत होती है तो लोगों का गुस्सा डॉक्टर पर फूटता है ऐसे में चौकी और पुलिस सुरक्षा के अभाव में डॉक्टर असुरक्षित है।

नहीं कराया गया पीएम

जानकारी लगने के बाद तुरंत पुलिस मौके पर पहुंच गई थी और हालात को संभाला, उन्हें समझाइश दी गई जिसके बाद विवाद शांत हुआ। परिजनों ने लिख कर दिया था कि वो पीएम नहीं करवाना चाहते जिसके चलते मृतक का पीएम नहीं करवाया।

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