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पैरेंटिंग(Parenting) कोच राजेंद्र सक्सेना की मानें तो अभी माता-पिता को बच्चों के पालन-पोषण से जुड़ी जो जानकारी मिल रही है, वह अनफिल्टर्ड है। वे बच्चे की समस्या नहीं समझ पा रहे। पालन-पोषण सीखने की लंबी प्रक्रिया है। बच्चों को सुधारने से पहले खुद सुधरने पर ध्यान देना होगा। 80-20 के फॉर्मूले को समझना होगा। यानी, जब बच्चों से बात करें तो 80 अनुपयोगी या गलत बातों को छोड़ दें। 20 उन बातों पर ध्यान दें जो आप बच्चे से करवाना चाहते हैं। उसे यह न कहें कि यह मत करो। क्या करना है, उस पर चर्चा जरूरी है।
किताबों से भी सीख रहे
पैरेंटिंग(Parenting) कोच और साइकोलॉजिस्ट डॉ. शिखा रस्तोगी का कहना है, देश में लोग बच्चों का पालन-पोषण सीख रहे हैं। यह संख्या बहुत कम है, लेकिन वे लालन-पालन पर आधारित किताबों की मदद जरूर ले रहे हैं। सही लालन-पालन के लिए बच्चे को वक्त दें। उसकी जरूरतें, मनोभावों को समझें, तभी आप सही पालन-पोषण(Child care) कर सकेंगे। कोच तक पहुंच रहीं ऐसी समस्याएं
- माता-पिता की बात नहीं मानता।
- मोबाइल खूब देखता है।
- पढऩे का मन नहीं है।
- टीनएज बच्चा है, तो जवाब देता है।
- बच्चा बहुत जिद करता है।
करें ये काम
- बच्चों से तालमेल बिठाएं।
- उनके साथ समय गुजारें।
- सुबह उठते समय, स्कूल आते-जाते समय और रात में सोते समय 5-5 मिनट उनकी बातें सुनें।
- बार-बार किसी चीज के लिए मना न करें। उन पर दबाव न बनाएं।
- उनके आत्मविश्वास को बढ़ाने वाले शब्द कहें।