अब माइक्रो बीट में शहरी क्षेत्र में मोहल्ले और वार्ड बांटे जाएंगे वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में दो या तीन गांवों का जिम्मा दिया जाएगा। उन संबंधित गांवों में होने वाली तमाम गतिविधियों, आनेजाने वालों की जानकारी और गांव के जिमेदारों का डेटा संबंधित माइक्रो बीट प्रभारी रखेंगे। वहां अपराधिक किस्म के लोगों, बदमाशों का रिकॉर्ड रखा जाएगा। उनकी एक-एक गतिविधि की मॉनीटरिंग बीट प्रभारी करेंगे।
कार्य का क्षेत्र कम होगा, अपराध रुकेंगे
पुलिस अधिकारियों के अनुसार अभी तक बीट सिस्टम का एरिया काफी बड़ा होता था, जिससे हर गतिविधि पर नजर रख पाना मुश्किल होता था अब आरक्षक, प्रधान आरक्षक स्तर के पुलिसकर्मी अपराधियों पर नजर रखेंगे। माइक्रो बीट प्रणाली लागू करने का मूल का मकसद अपराधों पर रोकथाम लगाना है। साथ ही वहां मिलने वाली शिकायतों का त्वरित निराकरण करना, हाथोंहाथ जीरो पर ही एफआइआर कर लेना और पूरी जांच करना रहेगा। इस सिस्टम के लिए जिलेभर के सभी पुलिसकर्मियों को विशेष प्रशिक्षण संबंधित अनुविभागीय अधिकारी पुलिस और थाना प्रभारी दे रहे हैं। ये भी पढ़ें:
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माइक्रो बीट प्रणाली में ऐसे तय होगा काम
● संबंधित बीट के सरपंच, सचिव, जीआरएस, चौकीदार सहित अन्य की जानकारी रखेंगे। गांव में रहने वाले बदमाशों, अपराधिक किस्म के लोगों की जानकारी जुटाना है। उनकी आय का स्त्रोत क्या है, कैसे वे काम कर रहे हैं, कहां आना-जाना है यह पूरी जानकारी वे रखेंगे।
● कोई भी घटना होने पर पहले खुद सुलझाने की कोशिश करेंगे, उसकी पूरी जानकारी लेंगे, इसके बाद वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत करवाएंगे। ● संबंधित बीट से जुड़ी एकएक जानकारी जुटाकर रखेंगे, उस क्षेत्र की पूरी हिस्ट्री कहां क्या गतिविधियां होती हैं उनकी पूरी जानकारी उन्हें रखना होंगी।
● शहरी या ग्रामीण क्षेत्र की इन बीट में लगे सीसीटीवी कैमरा की मॉनीटरिंग करेंगे, उसमें कैप्चर होने वाली गतिविधि के आधार पर ही काम करेंगे। ● बीट में आने वाले संदिग्ध लोगों की जानकारी नोट करेंगे। हॉकर्स, सब्जी विक्रेता सहित अन्य अनजान लोगों का डेटा बेस भी तैयार किया जाएगा।