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भोपाल

चिट से फंड की चीटिंग, मुनाफे के नाम पर कंपनियां हजार, घोटाले अपार

Chit Fund Ghotala: चिटफंड का आशय ऐसी स्कीम से है, जिसमें कोई वित्तीय लेनदेन के लिए एक समझौता करे। इसमें एक तय रकम या कोई चीज एक तय समय पर किस्तों में जमा की जाती है। परिपक्वता अवधि पूरी होने पर ब्याज सहित लौटा दी जाती है। चिटफंड को कई नामों जैसे चिट, चिट्ठी, कुरी से भी जाना जाता है। एक तरह से यह माइक्रो फाइनेंस है। इसी की आड़ लेकर लोगों ने देशभर में घोटाले कर डाले। लगाम कसने के लिए केंद्र सरकार ने कानून बनाया। इसके बावजूद घोटाले कम होने का नाम नहीं ले रहे। चिट से आम लोगों के फंड की चीटिंग जारी है।

भोपालApr 08, 2025 / 03:40 pm

Sanjana Kumar

Chit Fund Ghotala

Chit Fund Ghotala

Chit Fund Ghotala in mp: निवेश के नाम पर जनता को वर्षों से ठगा जा रहा है। सैकड़ों कंपनियां चिटफंड के नाम पर धोखाधड़ी कर रही हैं। मध्यप्रदेश में 164 से ज्यादा कंपनियां ऐसी हैं, जिन्होंने पांच हजार से ज्यादा निवेशकों से पहले रकम जमा करवाई, फिर रफूचक्कर हो गईं। प्रदेश में घोटाला 2010 से 2024 के बीच तेजी से बढ़ा और हजारों लोगों को तबाह कर दिया।
पुलिस में शिकायत के बाद कई कंपनियों की संपत्तियों की कुर्की की कार्रवाई भी चल रही है। हालांकि पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई के बावजूद ज्यादातर मामलों में निवेशकों को उनका पैसा अब तक वापस नहीं मिल सका है। चिटफंड से जुड़े ऐसे मामलों में पुलिस बड्स एक्ट (अनियमित जमा योजना प्रतिबंध अधिनियम 2019) के तहत कार्रवाई करती है। इसमें 10 साल के कारावास से लेकर पांच करोड़ तक के अर्थदंड का प्रावधान है।

छिंदवाड़ा, सिवनी, बालाघाट: 1.5 लाख से करोड़ों ठगे

छिंदवाड़ा में साईं प्रसाद प्रॉपर्टी लिमिटेड, बीएन गोल्ड, बीएनजी ग्लोबल इंडिया लिमिटेड जैसी कंपनियों ने करीब 1.5 लाख निवेशकों से करोड़ों ठगे। सिवनी में उत्कल मल्टीस्टेट क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी ने 25 करोड़ की धोखाधड़ी की और फरार हो गई। बालाघाट में सात चिटफंड कंपनियों की संपत्तियां जब्त करने का आदेश दिया गया था, लेकिन निवेशकों को राहत नहीं मिली।

इंदौर, खंडवा, खरगोन: लालच देकर लोगों को फंसाया

इंदौर में चिटफंड कंपनियों ने वीडियो अपलोड करने पर पैसे देने, सोने में निवेश और हर महीने 21 हजार रुपए देने का झांसा देकर करोड़ों ऐंठे। इसी तरह खंडवा और खरगोन में साईं प्रसाद, जीएन डेयरी, जीएन गोल्ड जैसी कंपनियों ने 125 करोड़ रुपए से अधिक की ठगी की। पुलिस ने कुछ आरोपियों को गिरतार किया, लेकिन अधिकतर मुख्य आरोपी अब भी फरार हैं।

सिंगरौली, रीवा, पन्ना: 2010 से 2017 के बीच करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी

सिंगरौली में 28 कंपनियों के खिलाफ 400 से अधिक शिकायतें दर्ज हुई हैं। रीवा में साईं प्रसाद, साईं प्रकाश, इंडेस, एसयूके जैसी कंपनियों ने 2010 से 2017 के बीच करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी की। पन्ना में ओशियन एग्रो को-ऑपरेटिव सोसायटी ने लाखों रुपए की ठगी की और 2018 में फरार हो गई।

जबलपुर, कटनी: माइक्रोफाइनेंस का नया जाल

जबलपुर और कटनी में अब माइक्रोफाइनेंस कंपनियों का नेटवर्क तेजी से फैल रहा है। ये कंपनियां गांवों में छोटे-छोटे कर्ज देकर लोगों को 15-30 फीसदी ब्याज दर पर फंसाने का काम कर रही हैं। कई मामलों में लोन दिलाने के नाम पर फर्जी आधार कार्ड और दस्तावेज तैयार किए गए। गरीब निवेशकों को चूना लगाया गया। पुलिस ने कई शिकायतें दर्ज की हैं, लेकिन ठगी करने वाले गिरोह अब भी सक्रिय हैं।

भोपाल, विदिशा, गुना, राजगढ़: कार्रवाई के बावजूद ठगी जारी

राजधानी भोपाल में स्वामी विवेकानंद मल्टी स्टेट क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी पर 100 करोड़ रुपए से अधिक की धोखाधड़ी का आरोप है। गुना में एजे ग्रुप ऑफ कंपनीज ने 35 करोड़ रुपए की ठगी की। इसी तरह विदिशा में बेतवांचल इंडिया निधि लिमिटेड ने लगभग चार करोड़ रुपए का घोटाला किया।

बुरहानपुर: ढाबे पर काम कर जमा किए थे 90 हजार रुपए

छोटे ढाबे से रोजाना 500 रुपए जमा करके राहुल मराठा ने 90 हजार रुपए जमा किए थे। सपना था कि इस पैसे से अपना व्यवसाय बढ़ाएगा और बच्चों को अच्छी शिक्षा दे पाएगा, लेकिन चिटफंड कंपनी ने रिटर्न देने के बजाय ताला लटका दिया। स्थानीय एजेंट ने शुरू में पैसे वापसी का भरोसा दिलाया। आखिरकार वह भी गायब हो गया। इस घटना से राहुल का परिवार लंबे समय तक आर्थिक तंगी में रहा।

अच्छे रिटर्न का वादा

मई 2022 में बुरहानपुर में श्री सहजानंद क्रेडट सोसायटी लिमिटेड कंपनी आई। एजेंट ने बताया कि छह महीने में 6त्न याज मिलेगा। कई प्रतिष्ठित लोगों और छोटे व्यवसायियों ने पैसा लगाया, जिससे आम लोगों का भरोसा बढ़ा। कुछ माह बाद एजेंटों ने कहना शुरू कर दिया कि कंपनी घाटे में है। पैसा वापस देने में समय लगेगा।

कंपनी बंद, पैसा डूबा

शुरुआत में कंपनी ने कुछ लोगों को समय पर रिटर्न दिया ताकि भरोसा बना रहे। जब एजेंट ने मार्केट से वसूली बंद कर दी तो निवेशकों को शंका हुई। फोन करने पर एजेंट ने पैसा वापस दिलवाने की गारंटी दी। समय बीतता गया और अंतत: कंपनी में ताले लग गए। ऐसे में निवेशकों ने पुलिस में शिकायत की, पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

पुलिस ने केस ही दर्ज नहीं किया

राहुल के भाई अमोल मराठा ने बताया कि उन्होंने पुलिस में शिकायत की तो कहा गया कि यह एक सिविल मामला है। केस दर्ज नहीं किया गया और कंपनी के मालिकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। बुरहानपुर एसपी देवेंद्र पाटीदार ने कहा, चिटफंड कंपनी से जुड़ी कोई नई शिकायत नहीं है। पुराने मामलों में जांच चल रही है। ऐसे ही रास्तीपुरा निवासी जितेंद्र महाजन स्टेडियम के बाहर पराठा बेचकर गुजारा करते हैं। महाजन ने सहारा चिटफंड में क्र16 हजार जमा किए थे। 15 साल में 1.80 लाख मिलने थे, लेकिन उनके भी सपने टूट गए।
Buds Act

इस कानून से पुलिस को मिले ये अधिकार

बड्स एक्ट में पुलिस को व्यापक अधिकार मिले हैं। जैसे निवेशकों की जमा रकम वापस दिलाने के लिए पुलिस कंपनियों के डायरेक्टरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर सकती है। कंपनियों की संपत्ति कुर्क की जा सकती है।

10 साल के कारावास और 5 करोड़ के दंड का प्रावधान

जानबूझकर गलत तथ्य देकर जमाकर्ताओं को अनियमित जमा योजनाओं में निवेश करने के लिए प्रेरित करने पर दो से सात साल के कारावास का प्रावधान है। उसके बाद अनियमित जमा के दोबारा भुगतान में अनियमितता बरतने पर तीन से 10 साल के कारावास का प्रावधान। बार-बार अपराध करने पर पांच से 10 साल के कारावास के साथ 10 लाख से लेकर पांच करोड़ के दंड का प्रावधान है।
Chit Fund Ghotala

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Chit Fund Ghotala

मामला दर्ज तो किया जाता है

चिटफंड से जुड़ी धोखाधड़ी के मामले सामने आने पर चीटिंग का मामला तो दर्ज किया ही जाता है। साथ ही बड्स एक्ट यानी बेनिंग ऑफ अनरेग्युलेटेड डिपोजिट स्कीम एक्ट-2019 के तहत कार्रवाई की जाती है। क्योंकि चिटफंड अनरेगुलेटेड डिपॉजिट से जुड़ा मामला ही है।

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