अनुदान से पहले होती है जांच अनुदान देने से पहले गोशालाओं की जांच की जाती है। इसके लिए एक कमेटी भौतिक सत्यापन करती है। इसके बाद आवेदनों की पड़ताल की जाती हैं। कलक्टर की अध्यक्षता में जिला गोपालन समिति की बैठक होती है। गोशालाओं से जुड़े पदाधिकारियों को भी इसमें बुलाया जाता है। इसके बाद गोशालाओं को अनुदान जारी किया जाता है। गोवंश के स्वास्थ्यवर्धन के लिए सर्दी के मौसम में बाजरा देने की भी घोषणा की है। यह भी गोवंश के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।
बाजरा भी मिलेगा पशु पालन विभाग के उपनिदेशक के अनुसार बजट घोषणा से संचालित गोशालाओं व नंदी शालाओं के लिए प्रति पशु देय अनुदान को आगामी वर्ष में 15 फीसदी तक बढ़ाकर 50 रूपए प्रतिदिन किए जाने की घोषणा की है। साथ ही शीत ऋतु में गायों के स्वास्थ्य वर्धन के लिए अनुदान के स्थान पर बाजरा की भी उपलब्धता कराया जाएगा।
अनुदान बढ़ने से यह होगा फायदा
- – गोशाला संचालकों को वित्तीय राहत मिलेगी।
- – गोवंश की देखरेख में भी सुधार आएगा।
- – गोवंश को चार-पानी की बेहतर सुविधाएं मिलेंगी।
- – पशुपालन क्षेत्र को मजबूती मिलेगी।
- – नई गोशालाएं खोलने के प्रयास को बल मिलेगा।
फैक्ट फाइल
- -अब बड़े गोवंश को 50 रुपए प्रतिदिन मिलेंगे। जबकि पहले 44 रुपए मिलते थे।
- -छोटे गोवंश के लिए अब 25 रुपए मिलेंगे। जबकि पहले 22 रुपए मिलते थे।
- -जिले में हैं पंजीकृत 35 गोशाला।
- -गोशालाओं में है 15 हजार गोवंश।