भरतपुर। महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय में शुक्रवार को निजी महाविद्यालयों के प्रिंसीपल और स्टाफ के सत्यापन के लिए कॉलेज संचालक पहुंचे। इस बीच यहां फर्जीवाड़े का महाकुंभ सा लगा नजर आया। वजह, सत्यापन के लिए चित्रकूट, मेरठ और अमरोहा तक से लोग पहुंचे। हंगामे के बीच एक जने को डमी कैंडीडेट के रूप में पकड़ा है। इसकी डिग्री पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।
विश्वविद्यालय में स्टाफ वेरीफिकेशन होने की सूचना कुछ छात्र नेताओं को लगी तो वे भी वहां पहुंच गए। एबीवीपी के छात्रों ने यह कहते हुए हंगामा कर दिया कि स्टाफ के नाम पर यहां कुछ फर्जी लोगों को लाया गया है। इनमें से कुछ को पदाधिकारियों ने पकड़ लिया। हंगामे की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची और एबीवीपी की ओर से पकड़े गए करीब 16 लोगों को कुम्हेर पुलिस थाने ले गई। पुलिस तीन गाड़ियों को भी साथ ले गई।
हालांकि विवि प्रशासन का दावा है कि एक व्यक्ति जो क्वालिफाइड नहीं था, उसे साक्षात्कार नहीं देने दिया गया। यह कथित फर्जी डिग्रीधारी व्यक्ति विवि से बाहर आया तो एबीवीपी पदाधिकारियों ने उसे पकड़ लिया। सूत्रों के अनुसार वैर इलाके के रांघेय राघव महाविद्यालय का स्टाफ सत्यापन के लिए पहुंचा था।
इनमें से एक व्यक्ति डमी कैंडीडेट के रूप में शामिल था। हालांकि इस व्यक्ति को यूनिवर्सिटी में इंटरव्यू नहीं देने दिया गया और बाहर निकाल दिया। इस मामले में एबीवीपी के पदाधिकारियों ने यहां स्टाफ के नाम पर पहुंचे अन्य लोगों की योग्यता पर भी सवाल उठाए हैं। हिरासत में लिए गए लोगों में इटावा, झांसी, चित्रकूट, अमरोहा, मुरादाबाद, बरेली, प्रयागराज एवं मेरठ आदि शहरों के लोग शामिल हैं।
आरोप, फर्जी डिग्री टीचर बुलाए
इस मामले में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने आरोप लगाते हुए दावा किया है कि प्राइवेट कॉलेज के एफीलेशन अनुमोदन के लिए आए 25 से अधिक फर्जी डिग्रीधारी शिक्षकों को पकड़ा है। प्रदेश मंत्री नितेश चौधरी ने कहा कि शुक्रवार को विवि में प्राइवेट कॉलेज की मान्यता अनुमोदन के लिए बैठक बुलाई थी।
आरोप है कि इसमें प्राइवेट कॉलेज के एक ठेकेदार को ठेके देकर फर्जी डिग्री टीचरों को बुलाया गया। मौके पर जब उनकी जांच की गई तो सभी की डिग्री फर्जी निकली। हंगामा होने के बाद पुलिस ने इन्हें हिरासत में लिया है। विभाग संयोजक दौलत शर्मा ने दावा किया है कि पकड़े गए सभी फर्जी लोगों की डिग्रियां फर्जी थीं। इन लोगों को ठेकेदार की ओर से उत्तर प्रदेश के विभिन्न स्थानों से लाया गया था।
यह है विवि प्रशासन का तर्क
इस संबंध में विवि प्रशासन का तर्क है कि कॉलेज के एफिलेशन देने से पहले एनओसी की प्रक्रिया होती है। कॉलेज एफिलेशन के लिए एप्लाई करता है। विवि प्रशासन एफिलेशन देने पहले देखते हैं कि यहां प्रिंसीपल है या नहीं। साथ ही यह भी देखा जाता है कि प्रिंसीपल क्वालिफाइड है या नहीं।
वहीं कॉलेज में टीचर हैं या नहीं, यदि पर्याप्त टीचर हैं तो वह योग्यता रखते हैं या नहीं यह भी जांचा जाता है। कॉलेज के स्तर पर समाचार पत्र में विज्ञापन जारी कर कॉलेज स्तर पर आवेदन आमंत्रित किए जाते हैं। गठित कमेटी यह देखती है कि स्टाफ योग्य है या नहीं। विवि का तर्क है कि विवि का इसमें कोई रोल नहीं है। यह कॉलेज का अपना मामला है। ऐसा कोई प्रकरण जानकारी में आते ही विवि प्रशासन की ओर से महाविद्यालय के विरुद्ध कार्रवाई की जाती है।
मिलीभगत करने का आरोप
एबीवीपी पदाधिकारियों का आरोप है कि महाराजा सूरजमल बृज विवि के अधीन 192 कॉलेज हैं। इन कॉलेजों के स्टाफ का वेरिफिकेशन करने के लिए विवि प्रशासन के अधिकारी और कॉलेज माफियायओं की ओर से बाहर से लोग बुलाए गए थे, जो बाहर से लोग आए थे, उनके पास न तो कोई डिग्री थी और न ही ऐसा कोई दस्तावेज, जिससे वह कॉलेज में शिक्षक की मान्यता को पूरा कर सकें। आरोप है कि ऐसे कई कॉलेज में प्रोफेसरों के अनुमोदन का कार्य किया जा रहा था।
Hindi News / Bharatpur / सवालों के घेरे में भरतपुर की बृज यूनिवर्सिटी, स्टाफ वैरिफिकेशन के लिए प्रयागराज से पहुंचे कथित डिग्रीधारी; छात्र नेताओं ने किया हंगामा, 16 हिरासत में