Good News For Farmers: देशभर में सरसों तेल के लिए मशहूर जिले के किसानों के लिए अच्छी खबर है। किसानों को अब तिलहनी फसलों को बढ़ावा देने और बेरोजगारों को रोजगार देने के लिए कृषि विभाग की ओर से प्रसंस्करण इकाई लगाने पर अनुदान दिया जाएगा। लगातार महंगे होते जा रहे खाद्य तेल की कीमतों को स्थिर रखने के साथ उपभोक्ता को अच्छी गुणवत्ता का तेल उपलब्ध करवाने के लिए अब सरकार किसानों के लिए छोटी ऑयल मिल स्थापित करने में सहयोग करेगी। इससे किसानों को आर्थिक संबल मिलेगा और खेत का उत्पाद खेत में ही प्रोसेस होगा, जिससे गांवों में रोजगार के अवसर पैदा होंगे। वहीं किसान की फसल के दाम भी अच्छे मिलेंगे।
कृषि आयुक्तालय ने विभाग के जिला अधिकारियों को योजना की क्रियान्विति के निर्देश दिए है। योजना में सबसे पहले किसानों से तिलहन प्रसंस्करण इकाई लगाने के लिए आवेदन लिए जाएंगे। केंद्र की नेशनल मिशन ऑन एडिबल ऑयल-ऑयल सीड योजना के तहत किसान आवेदन कर पाएंगे। इसके बाद फाइनल सूची बनेगी। एक किसान को सरकार की ओर 10 टन प्रोसेसिंग क्षमता की प्रसंस्करण इकाई लगाने के लिए अधिकतम 9.90 लाख रुपए तक की मदद की जाएगी। यानी कुल लागत की अधिकतम 33 प्रतिशत सहायता राशि मिलेगी। शेष राशि किसान को स्वयं वहन करनी होगी।
किसानों और उपभोक्ताओं को फायदा
स्थानीय बाज़ार में तिलहन फसलों की प्रोसेसिंग व प्रसंस्करण इकाई नहीं होने के कारण ज्यादातर कारोबारी दूसरे स्थानों से खाद्य तेल मंगवाकर बेचते हैं। इस कारण तेल में मिलावट की आशंका ज्यादा रहती है। तेल की पैकिंग भी काफी पुरानी होती है। परिवहन लागत बढ़ने से उपभोक्ताओं पर भार पड़ता है।
लोकल मार्केट में ऑयल मिल स्थापित होने से कीमतें नियंत्रण में रहेंगी। इकाई स्थापित करने से किसानों को उपज के अच्छे दाम मिलेंगे। साथ ही उपभोक्ता को कम कीमत में अच्छी गुणवत्ता के तेल उपलब्ध होंगे। इससे परिवहन लागत भी कम आएगी।
ये फसलें शामिल
केंद्र सरकार ने तिलहन उत्पादन में देश को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से ये योजना लागू की है। इसके लिए 10,103 करोड़ रुपए मंजूर करते हुए इसे 2024-25 से 2030-31 तक के लिए लागू किया गया है। योजना में सरसों, मूंगफली, सोयाबीन, सूरजमुखी और तिल जैसी मुख्य तिलहन फसलों का उत्पादन बढ़ाना इसका मकसद है। मिशन के जरिए सरकार 2030-31 तक घरेलू खाद्य तेल उत्पादन में 25.45 मिलियन टन तक की वृद्धि करना चाहती है।
जिले में इस साल रबी सीजन के दौरान 1 लाख 14 हजार से अधिक हेक्टेयर में सरसों की बुवाई की गई है। इस नई योजना का उद्देश्य किसानों को अपनी फसल से अधिक मुनाफा दिलाना है। अब किसान सरसों, मूंगफली, सोयाबीन और अन्य तिलहनों की प्रोसेसिंग खुद कर सकेंगे, जिससे वे कच्चे माल के बजाय तैयार उत्पाद बेच पाएंगे और उनकी आय में वृद्धि होगी।