इंश्योरेंस कंपनियां हादसे में डेमेज गाड़ियों को कबाड़ में बेचती हैं। इसके दस्तावेज भी देती हैं। चोर गिरोह इन गाड़ियों को खरीद लेता हैं। गिरोह के गुर्गे इन कंपनियों की गाड़ियां चोरी करवाते हैं। चोरी की गाड़ी में कबाड़ वाली के चेसिस और इंजन नंबर डाल देते हैं। इसे कबाड़ वाली गाड़ी की पहचान देते हैं। इसके बाद दूसरे राज्यों में महंगे दामों में बेच देते हैं। चोरी की गाड़ी खरीदने वाले को पुरानी गाड़ी के असली दस्तावेज सौंप दिए जाते हैं।

जनवरी से मई माह तक जयपुर में 2533 दुपहिया वाहन चोरी हो गए। वहीं, 302 कार व चार पहिया वाहन चोरी हो गए। दुपहिया वाहन की औसत कीमत 20 हजार रुपए है और कार की कीमत 3.5 लाख रुपए है। दक्षिण पूर्व इलाकों में सर्वाधिक बाइक और कार चोरी होती है। पूर्व में 928 बाइक और 115 कार चोरी होने के मामले सामने आए। वहीं दक्षिण में 878 बाइक और 56 कार चोरी होने के मामले आए। पश्चिम में 509 बाइक और 31 कार चोरी हुई। वहीं उत्तर में 217 बाइक और 34 बाइक चोरी गई।
-ज्ञानचंद यादव, पुलिस उपायुक्त पूर्व
-वंदिता राणा, पुलिस उपायुक्त, पश्चिम