संसार के सच से परिचित करवाता है और उसका समाधान भी देता है वेदांत
आचार्य प्रशांत ने बताया कि मनुष्य को ज्ञात सबसे प्राचीन शास्त्रों में वेद शीर्ष पर आते हैं और वेदान्त वैदिक सार का परम शिखर है। शास्त्रीय रूप से उपनिषद्, ब्रह्मसूत्र और श्रीमद्भगवद्गीता वेदान्त के तीन स्तम्भ माने जाते हैं, जिनको प्रस्थानत्रयी भी कहा जाता है। वेदान्त के सूत्र मात्र दार्शनिक चिन्तन का विषय नहीं हैं, वे हमारे जीवन की बात करते हैं। चाहे हमारी व्यक्तिगत परेशानियाॅं हों या वैश्विक समस्याऍं, वेदान्त हमें व्यक्ति और संसार के सच से परिचित करवाता है और उसका समाधान भी देता है।
उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति मुक्ति के लिए पूरा जीवन यत्न करता है लेकिन और बंधनों में ही फँसता चला जाता है। वेदान्त की शिक्षा हमें बताती है कि हमारा मूल बंधन क्या है और उससे मुक्ति का मार्ग भी प्रशस्त करती है। सिर्फ़ भारत ही नहीं, विश्व के अनेक संतों, विचारकों, कवियों, वैज्ञानिकों ने वेदान्त की महिमा को सराहा है और उससे प्रेरणा पाई है। भारत ने दुनिया को जो अमूल्य उपहार दिया है वो आत्मा है, और यह वेदान्त की ही देन है। आचार्य प्रशांत ने ‘वेदान्त’ में जीवन के गूढ़ रहस्य और उनसे जुडी हुई भ्रांतियों पर सरल शब्दों में विस्तृत व्याख्या की है।
गौरतलब है कि आचार्य प्रशांत विज्ञान, मानविकी और गणित के मेधावी छात्र रहे हैं। राज्य के राज्यपाल (यूपी) ने उन्हें बोर्ड परीक्षाओं में एक नया मानक स्थापित करने और एनटीएसई विद्वान होने के लिए एक सार्वजनिक समारोह में सम्मानित किया। उनकी यात्रा उन्हें IIT दिल्ली और IIM अहमदाबाद में तकनीकी और प्रबंधन शिक्षा तक ले गई। लगभग 30 वर्ष की आयु में, उन्होंने अपने संवाद, या स्पष्टता सत्रों में बोलना शुरू किया। आचार्य प्रशांत प्रशांतअद्वैत संस्था के संस्थापक हैं। उनकी प्रसिद्ध पुस्तकें कर्म, आनंद, माया, अद्वैत इन एवरीडे लाइफ, द ब्यूटीफुल हार्ट, द वे ऑफ एश्योर्ड सक्सेस, वीमेन्स रेवोल्यूशन आदि हैं, जिन्हें दुनिया भर के पाठकों से जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली है।