शिकायत में कहा गया कि पद दिलाने का झांसा देकर सीडीपीओ ने ₹70,000 की रकम अग्रिम रूप में अभ्यर्थी से वसूल की थी।
शिकायत में खुला बड़ा घोटाला
ग्राम टिटौली निवासी वीरवती पत्नी अमित कुमार ने जिलाधिकारी रविन्द्र कुमार को जनसुनवाई में लिखित शिकायत दी थी कि नवंबर 2024 में सीडीपीओ कृष्ण चंद्र ने उनके ऑनलाइन आवेदन को खुद ही एक जानकार कैफे से भरवाया और चयन सुनिश्चित करने के नाम पर ₹1.65 लाख की मांग की। वीरवती ने ₹70,000 बतौर एडवांस ब्याज पर पैसा लेकर दिए। बाद में जब सूची जारी हुई, तो उनका नाम नहीं था। शिकायत के अनुसार, सीडीपीओ ने दूसरी महिला, आशा पत्नी बाबूराम, से ₹2.50 लाख की रिश्वत लेकर जानबूझकर वीरवती के फॉर्म में त्रुटि डलवाई और उसका आवेदन रद्द करवा दिया। वीरवती ने आरोप साबित करने के लिए सीडीपीओ को पैसे देते समय का वीडियो साक्ष्य भी प्रस्तुत किया।
मुख्य विकास अधिकारी की जांच में हुई पुष्टि
मुख्य विकास अधिकारी जग प्रवेश सिंह ने शिकायत को गंभीरता से लेते हुए जांच की और पूरी रिपोर्ट निदेशक, बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग को भेजी। रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया कि सीडीपीओ ने पदीय दायित्वों का दुरुपयोग करते हुए भर्ती प्रक्रिया में भ्रष्टाचार किया।
तात्कालिक प्रभाव से निलंबन, जांच अधिकारी नामित
निदेशक ने सीडीपीओ कृष्ण चंद्र को तात्कालिक प्रभाव से निलंबित कर दिया है। उनके खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली, 1999 के तहत अनुशासनात्मक कार्यवाही की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। जांच अधिकारी के रूप में जमा त्रिपाठी, उप निदेशक (मुख्यालय) को नामित किया गया है।
निलंबन के दौरान शाहजहांपुर कार्यालय से सम्बद्ध रहेंगे
निलंबन अवधि में कृष्ण चंद्र को जिला कार्यक्रम अधिकारी कार्यालय, शाहजहांपुर से संबद्ध किया गया है। उन्हें नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ता अर्द्धवेतन के बराबर मिलेगा, परन्तु यह भत्ता उन्हें तभी मिलेगा जब वे यह प्रमाण पत्र देंगे कि वे किसी अन्य नौकरी, व्यापार या व्यवसाय में संलग्न नहीं हैं।