महाराज ने कहा कि आचार्यश्री की इच्छा है वागड़ का बागीदौरा क्षेत्र व्रती नगर के नाम से प्रसिद्ध हो। उंन्होंने कहा कि अवसर दबे पांव आता है और पंख लगाकर उड़ जाता है। इसलिए जिसने जीवन में धर्म का संचय किया होता है वो हीरो की तरह चमकता है ओर जो पाप करता है वो खलनायक की तरह नरक में सजा भुगतता है। उन्होंने वागड़ क्षेत्र में चातुर्मास पर कहा कि अभी परिन्दों ने उड़ान भरी है। आसमान पूरा बाकी है। हम एक एक नगर देखते जा रहे हैं अभी हमारा मंगलाचरण है पुराण तो पूरा बाकी है। संयम भवन में मुनि विमलसागर महाराज को शास्त्र भेंट व पाद पक्षालन दोसी विजेंद्र हीरालाल के परिवार ने किया । वहीं मुनि अंनतसागर महाराज का मेहता अशोक मीठालाल, मुनि धर्मसागर महाराज का पी डी परिवार व मुनि भावसागर महाराज का दोसी नगीन मणिलाल के परिवार ने पाद पक्षालन किया। इसके बाद समाज ने मुनि संघ को चातुर्मास के लिए श्रीफल भेंट किया। मंगलाचरण धर्मेंद्र सोवटिया ने किया। संचालन विनोद दोसी ने किया।