इसरो ने कहा है कि आकाशीय बिजली की घटनाएं क्षोभमंडल में संवहनी प्रक्रियाओं के प्रभाव के कारण घटती हैं। इसमें मौसम संबंधी विभिन्न कारकों जैसे सतह का विकिरण, तापमान और हवा आदि की प्रमुख भूमिका होती है। इन मौसम संबंधी मापदंडों की अंत: क्रियाओं के कारण आकाशीय बिजली गिरती है। इन घटनाओं का पूर्वानुमान इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में यह एक प्रमुख प्राकृतिक खतरा है। इससे हर वर्ष इससे बड़े पैमाने पर जान-माल की क्षति होती है।
इसरो के हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (एनआरएससी) के वैज्ञानिकों ने इनसैट-3 डी उपग्रह से प्राप्त आउटगोइंग लॉन्गवेव रेडिएशन (ओएलआर) डेटा में आकाशीय बिजली के संकेतों को पाया। दरअसल, ओएलआर पृथ्वी की सतह, महासागरों और वायुमंडल से अंतरिक्ष में ऊष्मा के रूप में उत्सर्जित होने वाली ऊर्जा है। यह दीर्घ दीर्घ तरंगदैध्र्य (3 से 100 माइक्रोमीटर) के रूप में होती है जो पृथ्वी के ऊर्जा संतुलन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह पृथ्वी के तापमान को प्रभावित करती है।
ओएलआर की तीव्रता में कमी बिजली गिरने का संकेत
इसरो वैज्ञानिकों ने पाया कि ओएलआर की तीव्रता में कमी आकाशीय बिजली गिरने का एक संकेत है। आकाशीय बिजली गिरने की घटना का संकेत देने वाले कारकों की पहचान के लिए इनसैट शृंखला के उपग्रहों से प्राप्त लगभग रीयल टाइम डेटा का प्रयोग किया गया। इसके बाद आकाशीय बिजली से संबंधित गीतिविधियों का पता लगाने और पूर्वानुमान को अधिक सटीक बनाने के लिए विभिन्न कारकों जैसे हवा, सतह का तापमान आदि को शामिल किया गया।
ढाई घंटे का मिलेगा लीट टाइम
इसरो वैज्ञानिकों की विकसित पद्धति से जमीन आधारित मापों से आकाशीय बिजली की गतिविधि में भिन्नता को स्पष्ट रूप से पकड़ा गया। यह पद्धति अत्यंत विश्वसनीयता से संकेत देती है कि आकाशीय बिजली की गतिविधि कब चरम पर होगी या कब कम होगी। इससे आकाशीय बिजली गिरने की घटना और तीव्रता का बेहतर पूर्वानुमान लगाया जा सकता है। यह पद्धति लगभग 2.5 घंटे के लीड समय के साथ बिजली की घटनाओं की भविष्यवाणी करने में सक्षम है। दरअसल, विभिन्न राज्यों में स्थापित लाइटनिंग स्टेशन और इसरो के इनसैट-3डी उपग्रह से मिली तस्वीरों के आधार पर पहले मौसम संबंधी भविष्यवाणी की जा रही थी, लेकिन बजली गिरने का पूर्वानुमान जाहिर नहीं किया जा सकता था। भू-स्थैतिक उपग्रहों से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर विकसित मॉडल से भारत भी ढाई घंटे पहले बिजली गिरने का पूर्वानुमान जाहिर कर पाएगा। इससे किसी खास इलाके में लोगों को सतर्क करने के लिए ढाई घंटे का लीड टाइम मिलेगा। बिहार, यूपी, ओडिशा, झारखंड, महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश जैसे राज्यों में आकाशीय बिजली का खतरा काफी गंभीर होता है। अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के उपग्रहों से 3-6 घंटे पूर्व बिजली गिरने का पूर्वानुमान जाहिर किया जाता है।