फोन भी रिसीव नहीं करते अधिकारी भाजपा नेताओं ने जिला महिला बाल विकास अधिकारी की शिकायत मंत्री से की। जिला भाजपा अध्यक्ष चेमन देशमुख ने कहा कि जिला महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी को कई बार मोबाइल फोन से संपर्क करने की कोशिश करते हैं, लेकिन कॉल रिसीव नहीं करते हैं।
अधिकारी के मामले में जानकारी लेने के बाद आगे की कार्यवाही की जाएगी बजट की कमी के कारण आंगनबाड़ी भवन बनाने में होती है परेशानी जनप्रतिनिधियों को नहीं बुलाते मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना में जिले के किसी भी आयोजन में भाजपा जनप्रतिनिधियों को आमंत्रित नहीं करने की शिकायत भी मंत्री से की गई। उन्होंने कहा कि इसकी शिकायत मिली है। इस बारे में जानकारी लेकर आगे की कार्रवाई की जाएगी। जनप्रतिनिधियों को समान मिलना चाहिए। मंत्री के कार्यक्रम से अनुपस्थिति के मामले में जब जिला महिला बाल विकास अधिकारी से मोबाइल फोन से संपर्क किया गया तो उन्होंने फोन रिसीव ही नहीं किया।
जर्जर आंगनबाड़ी भवन के मामले में महिला बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े ने कहा कि बजट की कमी के कारण थोड़ी परेशानी होती है। जैसे-जैसे बजट आ रहा है, वैसे-वैसे आंगनबाड़ी भवन बनाया जा रहा है। पत्रिका ने 8 अप्रैल को समाचार प्रकाशन कर शासन प्रशासन का ध्यान आकर्षण किया था। अब मंत्री ने जल्द पहल करने की बात कही है।
जिले के 242 आंगनबाड़ी केंद्रों के पास स्वयं का भवन नहीं है। इसमें से 118 आंगनबाड़ी किराए के भवन में संचालित है। 48 आंगनबाड़ी केंद्र ऐसे हैं, जो अन्य शासकीय भवनों में संचालित हो रहे हैं। 86 आंगनबाड़ी केंद्र तो सामुदायिक भवन में संचालित हो रहे हैं। जिले में 90 आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए राशि स्वीकृत हो गई है। कुछ जगहों पर काम शुरू हो गया है। जिला मुयालय के वार्ड 3 एवं 20 सहित अन्य में भी शासकीय आंगनबाड़ी भवन नहीं है। ऐसे में आंगनबाड़ी भवन किराए के भवन में संचालित हो रहा है।
बीते दिनों वार्ड 20 के पार्षद कसुमुद्दीन कुरैशी ने महिला बाल विकास अधिकारी से मांग की और ज्ञापन सौपा। वहीं मंगलवार को सर्किट हॉउस में वार्ड-3 पार्षद किरण साहू ने भी आंगनबाड़ी भवन के लिए महिला बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े को मांग पत्र सौंपा।
आंगनबाड़ी में मिले सिर्फ 4 बच्चे मंत्री लक्ष्मी राजवाडे़ व महिला बाल विकास सचिव शमी आबिदी, महिला बाल विकास विभाग के संचालक जनमेजय महोबे ने वार्ड 20 के आंगनबाड़ी केंद्र का निरीक्षण किया। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने बच्चों की उपस्थिति 15 लिखा था। वहां सिर्फ 4 ही बच्चे बैठे थे। रेडी टू ईट की व्यवस्था से भी नाराज दिखीं और व्यवस्था सुधारने के निर्देश दिए। अचानक निरीक्षण से परियोजना अधिकारी और पर्यवेक्षक भी सकते में रहे।