कंपनी में निदेशक बनाने के नाम पर लिए थे दस्तावेज
सिंह ने एफआईआर में कहा कि कपिल शर्मा ने वर्ष 2011 में उसकी कंस्ट्रक्शन कंपनी में हिस्सेदार, निदेशक बनाने के नाम पर उनकी बीई सिविल इंजीनियरिंग की मार्कशीट, सर्टिफिकेट, डिग्री व अन्य दस्तावेज लिए थे। सिंह और शर्मा दोनों तजाकिस्तान में एक ही कंपनी में काम करते थे, जिससे संपर्क में आए थे। सिंह शर्मा के सीनियर थे। शर्मा का ठेका पूरा होने पर वह भारत आ गया और अहमदाबाद में कंस्ट्रक्शन का काम करने लगा था। वर्ष 2011 में उसके कहने पर वह अहमदाबाद घूमने आए थे। तब उसने कंपनी में हिस्सेदार बनाने की बात कही थी और निदेशक बनाया। उसके बाद वे भी नौकरी छोड़ अहमदाबाद आए और काम शुरू किया। पैसों को लेकर विवाद होने पर दोनों अलग हो गए। उनके पैसे बकाया थे। इस बीच उन्हें पता चला कि कपिल ने अहमदाबाद मेट्रो में एजीएम की नौकरी जॉइन की है। खुद की कंपनी बंद कर दी। उनके पूर्व कर्मचारी से पता चला कि शर्मा ने जो बीई की डिग्री बताई है, उसमें उसने सिंह की डिग्री के सीरियल नंबर का उपयोग किया है। इस पर उन्होंने क्राइम ब्रांच में शिकायत दर्ज कराई। म,प्र. के पलासिया थाने में भी शर्मा विरुद्ध ठगी की दो प्राथमिकी दर्ज है।