कैसे हुआ घोटाला?
यह मामला नलखेड़ा तहसील के भंडावद गांव का है, जहां कुंडालिया बांध का निर्माण किया जा रहा है। इस बांध के चलते प्रभावित परिवारों को विशेष पुनर्वास भत्ता दिया गया था। योजना के अनुसार, 18 वर्ष से अधिक उम्र के अविवाहित महिलाओं और पुरुषों को 5 लाख रुपए मुआवजे के रूप में मिलने थे, लेकिन भ्रष्ट अधिकारियों और बिचौलियों की मिलीभगत से इस योजना में फर्जी लाभार्थियों को जोड़कर करोड़ों रुपये का घोटाला किया गया। फर्जी दस्तावेज बनाकर पैसा हड़पा
जांच में यह पाया गया कि कई आवेदकों ने अपने 18 साल से कम उम्र के बच्चों को वयस्क दिखाकर मुआवजे के लिए आवेदन किया। इस प्रक्रिया में पहचान पत्र और जन्म प्रमाण पत्र जैसे दस्तावेजों में हेरफेर की गई। इसके अलावा, जांच समिति में शामिल महिला बाल विकास परियोजना अधिकारी, विकासखंड शिक्षा अधिकारी, राजस्व निरीक्षक, पटवारी, ग्राम पंचायत सचिव और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने या तो सही तरीके से जांच नहीं की या फिर जानबूझकर अनदेखी की।
लोकायुक्त की जांच और आगे की कार्रवाई
लोकायुक्त की टीम ने जांच के दौरान मुआवजा सूची, दस्तावेज और बैंक खातों की पड़ताल की, जिसमें बड़े पैमाने पर अनियमितताएं सामने आईं। भ्रष्टाचार में शामिल 9 सरकारी कर्मचारियों सहित कुल 107 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। लोकायुक्त की टीम ने दस्तावेज जब्त कर आगे की जांच शुरू कर दी है। इस मामले में आगे और भी बड़े खुलासे होने की उम्मीद है।